आजमगढ़ 02 फरवरी– जिला कृषि रक्षा अधिकारी सुधीर कुमार ने कृषक भाइयों को अवगत कराया है कि बदली और वायुमण्डल में नमी के कारण फसलों में कीट एवं रोगों की समस्या आ जाती है। उन्होने बताया कि आलू की फसल में अगेती एवं पिछेती झूलसा लगने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले धब्बे दिखाई पड़ते है। तीव्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झूलस जाता है। फसल पर रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर कॉपर आक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 1 किग्रा0 या मैकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 0.800 किग्रा0 या जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 0.800 किग्रा0 में से किसी एक रसायन का 250 से 300 ली0 पानी में घोल कर प्रति एकड़ छिड़काव करें तथा 8-10 दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें।
उन्होने बताया कि मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई/सरसों की फसल में मांहू कीट के प्रकोप की सम्भावना बढ़ जाती है। मांहू कीट पंखहीन अथवा पंखयुक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के चुभाने एवं चूसने मुखांग वाले छोटे कीट होते है। यह कीट ओवी और वीवी पैरस होता है। इस कीट का शिशु एवं पौढ़ पौधो के कोमल तनो पत्तियों, फूलो एवं नई कलियों से रस चूस कर उसे कमजोर क्षतिग्रस्त करते है तथा पत्तियों पर मधुश्राव करते है। इस मधुश्राव पर काले कवक का प्रकोप हो जाता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित हो जाती है। इनका प्रकोप जनवरी से मार्च तक बना रहता है। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षतिस्तर से अधिक होता है तो डायमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी का 1 लीटर या क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी का 1 लीटर या मिथाइल ओडेमिटान 25 प्रतिशत ईसी का 1 लीटर, में से किसी एक का 500 से 700 ली पानी में घोलकर प्रति हे0 छिड़काव करें।
—-जि0सू0का0 आजमगढ़-02-02-2022—–