बीज जनित एवं भूमि जनित रोग फसलों को कभी-कभी बहुत अधिक हानि पहुंचाते है -जिला कृषि रक्षा अधिकारी

आजमगढ़ 13 अक्टूबर– जिला कृषि रक्षा अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि बीज जनित एवं भूमि जनित रोग फसलों को कभी-कभी बहुत अधिक हानि पहुंचाते है।
रबी 2020-21 में बीज शोधन/भूमि शोधन क्रियान्वयन के लिये रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, जौ, सरसों, आलू, चना, मटर, मसूर आदि में बीज शोधन एवं भूमि शोधन करना अनिवार्य है, क्योंकि बीज जनित एवं भूमि जनित रोग फसलों को कभी कभी बहुत हानि पहुंचाते है। बीज शोधन एवं भूमि शोधन कार्य हेतु कृषकों कों प्रोत्साहित किया जायें। बीज जनित एवं भूमि जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु गेहूं की फसल में करनाल बन्ट अनावृत्त कण्डवा, जौ में आवृत्त कण्डवा पत्ती का धारीदार रोग एवं चना, मटर, मसूर, का उकठा रोग, सरसों का झुलसा सफेद गेरुई तुलासिता रोग आदि फफूदी जनित रोगों में बीज शोधन का अत्यधिक महत्व है। बीज शोधन से फसलों की रोगों से रक्षा कर अधिक पैदावार ली जा सकती है।
इस प्रकार प्रमुख भूमि जनित कीटो जैसे दीमक, सफेद गिंडार, सुत्रकृमि, भूमि जनित कारक मिट्टी में पाये जाते है। जिनका भूमि शोधन द्वारा नियन्त्रण किया जा सकता है। जिनका उपचार विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है, जिसमें रबी की फसलों में फंफूदी द्वारा लगने वाले रोगों में बीज शोधन के लिये थीरम 75 प्रतिशत डब्लूएस की 2.5 ग्रा0 मात्रा को या कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी की 2 ग्रा0 मात्रा को प्रति किग्रा0 बीज को उपचारित करना चाहिये या 4 ग्रा0 ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा0 बीज के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
रबी की फसलों भूमि जनित कीटो जैसे-दीमक, सफेद गिंडार, सुत्रकृमि की रोकथाम के लिये क्लोरोपाइरीफाॅस 20 प्रतिशत की 2.5 ली0 मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि शोधन करना चाहिये या कार्बोफ्यूराॅन 3 प्रतिशत सी0जी0 की 25-30 किग्रा0 मात्रा प्रयोग करना चाहिये या व्यूवेरिया बेसियाना 1 प्रतिशत बायोपेस्टीसाइड का 2.5 से 5 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से भूमि शोधन किया जाये एवं भूमि जनित रोगो की रोकथाम के लिये ट्राइकोडर्मा से 2.5 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से भूमि शोधन करने की सलाह कृषकों को दी जाती है।