फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जनपद की समस्त ग्राम पंचायतों की खुली बैठक में प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

आजमगढ़ 07 अक्टूबर– फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जनपद की समस्त ग्राम पंचायतों की खुली बैठक में प्रशिक्षण का आयोजन जिलाधिकारी के निर्देशानुसार जनपद की समस्त ग्राम पंचायतों में खुली बैठक करते हुए फसल अवशेष के उचित प्रबन्धन एवं पराली/गन्ने की पत्ती जलाये जाने की रोकथाम हेतु कृषि, गन्ना उद्यान, ग्राम्य विकास, राजस्व विभाग के कार्मिकों द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण में कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरान्त फसल अवशेष को जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण, फसल के मित्र कीट एवं जीवों के नष्ट होने के साथ-साथ खेत की उर्वरता एवं मृदा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव एवं भूसा/चारा की वर्तमान में होने वाली कमी के बारे में अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्त माननीय एनजीटी द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने को दण्डनीय अपराध घोषित किये जाने एवं अर्थदण्ड की व्यवस्था से भी परिचित कराया गया। बताया गया कि 02 एकड़ से कम फसल अवशेष जलाने पर अर्थदण्ड- रू0 2500 प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ तक फसल अवशेष जलाने पर अर्थदण्ड रू0-5000 प्रति घटना, 05 एकड़ से अधिक फसल अवशेष जलाने पर अर्थदण्ड रू0-15000 प्रति घटना तथा घटना की पुनरावृत्ति होने पर अर्थदण्ड एवं कारावास दोनों से दण्डित किया जायेगा।
प्रशिक्षण में फसल अवशेष के उचित प्रबन्धन हेतु इन-सीटू मैनेजमेन्ट कृषि यंत्रों जैसे- सुपर एसएमएस, मल्चर, रोटरी स्लेशर, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा चापर, रिवर्सेबुल एमबी प्लाऊ पर प्रकाश डालते हुए उन पर देय 50 प्रतिशत अनुदान तथा फार्म मशीनरी बैंक एवं कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत देय अनुदान के बारे में भी ग्राम वासियों को बताया गया। कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई के उपरान्त बिना जुताई किये हैप्पी सीडर के माध्यम से लाईन से बुवाई एवं डीकम्पोजर के माध्यम से वेस्ट मैनेजमेन्ट के बारे में भी जानकारी दी गयी। इसके अतिरिक्त फसल अवशेष प्रबन्धन से होने वाले लाभ यथा मृदा में जीवांश की मात्रा में बढ़ोत्तरी, मृदा जल संरक्षण में सहायता, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाव, मृदा में कार्बनिक पदार्थों की बढ़ोत्तरी, फसलों हेतु सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्वयं पूर्ति तथा मृदा हेतु मित्र कीटों एवं जीवों के बचाव के बारे में प्रशिक्षित किया गया।
जनपद की सभी ग्राम पंचायतों में संचालित इस प्रशिक्षण के माध्यम से लाखों कृषकों को फसल अवशेष प्रबन्धन के प्रति जागरूक किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जनपद के कृषि एवं संवर्गीय विभाग के कर्मचारियों के अतिरिक्त समस्त खण्ड विकास अधिकारी, उप जिलाधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की सक्रिय सहभागिता रही।
भूमि संरक्षण अधिकारी संगम सिंह द्वारा विकास खण्ड रानी की सराय में प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया। उप कृषि निदेशक डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता द्वारा विकास खण्ड फूलपुर में प्रशिक्षण कार्यक्रम का निरीक्षण एवं आत्मा योजनान्तर्गत जैविक खेती के अध्ययन हेतु भ्रमण पर गये कृषकों को महेन्द्र सिंह ग्राम खरसहन खुर्द (पुरस्कृत जैविक खेती कृषक) के प्रक्षेत्र पर आयोजित प्रशिक्षण में प्रशिक्षित किया गया।