केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोरोना वैक्सीन अधिकतम रेट तय

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के अधिकतम रेट तय कर दिए हैं. नए रेट के मुताबिक कोविशील्ड का दाम 780 (600 वैक्सीन की कीमत+5% GST+सर्विस चार्ज 150 रुपया) रुपये प्रति डोज़ होगा. वहीं कोवैक्सीन का दाम 1410 रुपये (1200 रुपया कीमत+60 रुपया जीएसटी+150 रुपया सर्विस चार्ज) प्रति डोज़ होगा. रूस निर्मित वैक्सीन स्पूतनिक-V का दाम प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1145 प्रति डोज़ (948 रुपया वैक्सीन+47 रुपया जीएसटी+ 150 रुपया सर्विस चार्ज) होगा.

सरकार के निर्देशानुसार निर्धारित रेट को लेकर हर रोज इसकी निगरानी की जाएगी. ज्यादा रेट वसूलने पर प्राइवेट कोविड वैक्सीनेशन सेंटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. केंद्र ने राज्यों से कहा है कि 150 रुपए सर्विस चार्ज के से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल न लें. इनकी निगरानी राज्य सरकारों को करनी है.

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प्रधानमंत्री ने किया था ये ऐलान
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ये घोषणा की थी कि अब 18 से 44 साल के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए भी राज्यों को टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा और अगले दो सप्ताह में इससे जुड़़े दिशानिर्देश तय कर लिए जाएंगे. उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में यह भी कहा कि पूरे देश में सभी लिए के मुफ्त टीकाकरण 21 जून से शुरू होने की उम्मीद है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को मुफ्त टीका देगी. किसी भी राज्य सरकार को टीके पर कुछ खर्च नहीं करना होगा.

उन्होंने घोषणा की, ‘‘देश में बन रहे टीके में से 25 प्रतिशत, निजी क्षेत्र के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी. निजी अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सेवा शुल्क ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.’’

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प्रधानमंत्री के इस ऐलान को लेकर वामपंथी दलों ने सवाल भी उठाए हैं. देश के प्रमुख वामपंथी दलों ने मंगलवार को कहा कि सरकार को निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीके आवंटित करने का फैसला वापस लेना चाहिए, क्योंकि यह ‘लूट का लाइसेंस’ है.

केंद्र सरकार का ये ऐलान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने को कहा था. न्यायालय ने कहा था कि राज्यों और निजी अस्पतालों को 18-44 साल के लोगों से टीके के लिए शुल्क वसूलने की अनुमति देना प्रथम दृष्टया ‘‘मनमाना और अतार्किक’’ है.