चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 नवंबर को सुल्तानपुर आ रहे हैं। वे यहां पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करेंगे। भाजपा इसे पूर्वांचल के लिए गेम चेंजर बता रही है, लेकिन इतिहास में देखें तो यूपी में एक्सप्रेस-वे जीत की गारंटी नहीं है। एक्सप्रेस-वे बनाते-बनाते सरकारें सत्ता से उतर जाती हैं। इसे समझने के लिए हमें पिछली दो बसपा-सपा सरकारों में बने एक्सप्रेस-वे पर नजर डालनी होगी।
बसपा ने यमुना एक्सप्रेस-वे शुरू कराया था
बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की जनता के लिए अपने कार्यकाल में यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2007 में शुरू कराया। हालांकि मायावती यह एक्सप्रेस-वे सरकार में रहते हुए जनता को नहीं दे पाई। एक्सप्रेस के निर्माण के समय टप्पल और भट्टा परसौल में उपद्रव भी हुआ।
सरकार बदल गई और सपा यूपी की सत्ता पर काबिज हुई। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने 9 अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित किया। 165 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में पांच वर्ष से ज्यादा का समय लगा था।
अखिलेश ने 23 महीने में बनवाया था आगरा एक्सप्रेस-वे
अपने कार्यकाल में अखिलेश यादव ने नवंबर 2014 में आगरा एक्सप्रेस-वे की नींव रखी और लगभग 23 महीने में यह एक्सप्रेस वे जनता को समर्पित कर दिया गया। जनता को समर्पित करते समय मिराज 2000 व सुखोई विमानों ने टच एंड गो किया था। 302 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस को सपा सरकार ने बहुत तेजी से काम कराकर पूरा कराया था। जनता ने उन्हें भी कुर्सी से उतारकर भाजपा को सत्ता सौंप दी।
40 महीने में बनकर तैयार पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे
अब पूर्वांचल के लोगों को दिल्ली से जोड़ने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जुलाई 2018 को आजमगढ़ जिले से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी थी। इसे शुरू करने 16 नवंबर को सुल्तानपुर आ रहे हैं। 340 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस वे 40 महीने में बनकर तैयार हुआ है।