पिता स्व० बाबू रामकुंवर सिंह के सपनों को साकार करने का है प्रयास, जनता के प्यार, सहयोग का हमेशा रहूँगा ऋणी: प्रवीण सिंह

पिता स्व० बाबू रामकुंवर सिंह के सपनों को साकार करने का है प्रयास, जनता के प्यार, सहयोग का हमेशा रहूँगा ऋणी: प्रवीण सिंह

आज़मगढ़: आज़मगढ़ के सगड़ी तहसील क्षेत्र में स्थित छपरा सुल्तान पुर गावँ निवासी स्व० बाबू रामकुंवर सिंह को कौन नहीं जानता है। उनके द्वारा किया गए सामाजिक कार्यों एवं क्षेत्र का विकास आज भी इतिहास के पन्नों में प्रासंगिक है।
स्व० बाबू रामकुंवर सिंह 1969 में सगड़ी विधानसभा से विधायक रहे, 1980 में सदर से भी विधायक रहे। इसके साथ ही जब आज़मगढ़ मऊ अविभाज्य था। तब जिला कोआपरेटिव बैंक व डीसीएफ में चेयरमैन व जिला परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
बाबू राम कुंवर सिंह को ऑपरेटिव का जनक भी कहा जाता है।
इसके अलावा उन्होंने 1977 और 1996 में घोसी लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी से चुनाव भी लड़ा।
देश के आजाद होने के बाद हिंदू और मुसलमानों के बीच में जो एक लंबा अंतराल हो गया था। उसको आफ्तारी और होली मिलन जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत कर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की।
सर्वोदय डिग्री कॉलेज से लेकर मालटारी पीजी कॉलेज, अंजान शहीद सहित बड़ागांव, सिकरौरा, नदवासराय बोझी में ऐसे तमाम कालेजों की स्थापनाओं में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आजादी के बाद अपने कार्यकाल में शिक्षा दिलाने में बाबू रामकुंवर सिंह ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा इन्होंने
सैकड़ों लोगों को बिना किसी भेद भाव के नौकरी दिलाने का काम भी किया। शिक्षा की अलख जगाने के लिए स्व० रामकुंवर सिंह के अथक प्रयास से पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा प्राथमिक विद्यालय आजमगढ़ मऊ जनपद में बनाए गए। जहां आज भी इसका लाभ दोनों जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे उठा रहे हैं।
देश के शीर्षस्थ नेताओं पं० जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, चन्द्रजीत यादव, पंचानन राय सहित अन्य लोगों ने परस्पर सम्मान दिया। इसके बावजूद अपने जीवन काल में प्रदेश और देश की राजनीति से दूर रहे और एक जमीनी नेता होने के प्रमाण के साथ क्षेत्र और जनपद के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे।

आज बाबू रामकुंवर सिंह के गुजरे हुये लगभग 16 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए उनके पुत्र प्रवीण सिंह ने सामाजिक सेवा का ऐसा बेड़ा उठाया जिसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। इस सामाजिक सेवा के चलते उन्होंने जिला पंचायत क्षेत्र छपरा सुल्तानपुर वार्ड संख्या 2 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा। जिसमे उन्हें बहुत कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इस हार से वह जरा भी हतास या निराश नही हुए। बल्कि उन्होंने क्षेत्र की जनता का आभार जताते हुए कहा कि- मैं अपने पिता स्व० बाबू रामकुंवर सिंह के सपनो को साकार करने का प्रयास कर रहा हूँ। और उनके बताए रास्तों पर चलने की कोशिश है। उन्होंने क्षेत्र की जनता का आभार जताते हुए कहा कि- क्षेत्र की जनता ने जो प्यार, सहयोग और समर्थन देकर हमें चुनाव में एक सम्मानपूर्ण स्थिति में रखा, उसका में सदैव ऋणी रहूँगा। और समाज की सेवा अनवरत जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि- हमारे क्षेत्र की जनता अपनी समस्या मुझसे जब चाहे आकर कह सकती है। जो भी संभव सहयोग होगा, मैं उसके लिए सदैव तत्पर रहूंगा। क्षेत्र के विकास के लिए मैं हमेशा प्रयत्नशील रहा हूं, आगे भी मेरा प्रयास जारी रहेगा। प्रवीण सिंह ने पूरे चुनाव में ना तो किसी को शराब और ना ही किसी को पैसा बांटा, बावजूद इसके इतने लोगों के बीच में लोकप्रियता हासिल करना आज के जमाने में बहुत बड़ी बात है। यह एक ऐसे प्रत्याशी रहे, जिनको जिला पंचायत के चुनाव में हर बूथ पर वोट मिला है। इनको एक बेहतर नेतृत्वकर्ता के रूप में स्वीकार कर हर जाति धर्म के लोग साथ रहे।

आपको बतादें कि- प्रवीण सिंह ने बहुत से ऐसे सामाजिक कार्य किये हैं जो हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। चुनाव लड़ने से पूर्व ही अजमतगढ़ से सुखमदत्त नगर होते हुए आंखेंपुर मऊ जनपद के बॉर्डर तक टूटी सड़क का जीर्णोद्धार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपरा सुलतानपुर का निर्माण, छपरा से चलकर आजमगढ़ मुख्यालय पर प्रतिदिन सरकारी बस के आवागमन की सुविधा, जनपद मुख्यालय में पौधरोपण, चौराहों के चौड़ीकरण और चौराहों के निर्माण, तमसा सफाई स्वच्छता वृहद पौधरोपण व संरक्षण महा अभियान, शिब्ली कॉलेज में लगने वाले प्रत्येक वर्ष पुस्तक मेला, आज़मगढ़ महोत्सव, प्रदेश स्तर के खेलकूद के आयोजन, रक्तदान शिविर, कोरोना काल मे हजारों राहगीरों के लिए भोजन व दवा उपलब्ध कराना, एक समय में बंद पड़े सीतापुर आंख अस्पताल को पुनः शुरू कराना, चुनाव में मतदाता जागरूकता अभियान के साथ-साथ मॉडल बूथ की स्थापना कर प्रदेश में एक नई रूपरेखा तैयार करने में प्रवीण सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विगत वर्ष अतरौलिया क्षेत्र में बोरे में बंद एक मासूम बच्चे को जिसको जान से मार कर मरा हुआ समझकर बोरे में बंद कर फेंक दिया गया था। उसका पूरा इलाज और उसके परिवार की देख रेख कर उसे स्वस्थ कर परिजनों को सुपुर्द किया।
इन्ही सामाजिक कार्यों के चलते जनपद के पुलिस महकमे के हाथों 26 जनवरी को कमिश्नर डीआईजी जिला अधिकारी व कप्तान सहित संभ्रांत लोगों की उपस्थिति में प्रवीण सिंह को पुलिस लाइन परिसर में सम्मानित किया गया। ना सिर्फ पुलिस लाइन ही बल्कि अनेक जातीय संगठनों सहित जनपद के कई सामाजिक संगठनों के मंचों से व अनेक विद्यालयों के आयोजनों में सम्मानित किया जा चुका है।
बावजूद इसके एक सामान्य और साधारण तरीके से उन कार्यों का प्रचार प्रसार करना प्रवीण सिंह के स्वभाव में कभी नहीं रहा। जिसके कारण आम जनता इस बात को नहीं जान पाती की प्रवीण सिंह का व्यक्तित्व क्या है ?
ऐसे व्यक्तित्व को क्षेत्र की जनता द्वारा अपार स्नेह और प्रेम मिलना ऐसे व्यक्तित्व को ऊर्जा देने का काम किया है। हां यह अलग बात है कि ऐसे जमीनी कार्यकर्ता और सोच रखने वाले व्यक्ति के सक्रिय राजनीति में आने पर कुछ राजनीतिक लोग परेशान जरूर हो गए। जिसके कारण अपार स्नेह और प्रेम मिलने के बावजूद भी प्रवीण सिंह को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और विरोधियों द्वारा आने वाले राजनीतिक सक्रियता को रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन प्रवीण सिंह ऐसे व्यक्ति है, जो इस तरह की घटनाओं से हतोत्साहित नहीं हुए हैं। क्योंकि तमाम विपरीत परिस्थितियों को पार करते हुए वह आज यहां तक पहुंचे हैं। तो इन वोटों के परिणाम से ना तो प्रवीण सिंह और ना ही उनके शुभचिंतकों का मनोबल गिरा है। बल्कि उनको और भी ऊर्जा मिली है, जिससे आने वाले समय में इस क्षेत्र में एक नई रूपरेखा दिखाई देगी।