यूपी में पंचायत चुनावों के दौरान ड्यूटी दे रहे टीचरों की संक्रमण से मौत के मामले में सरकार करोड़ रुपए मुआवजा दे- HC

प्रयागराज

यूपी में पंचायत चुनावों के दौरान ड्यूटी दे रहे टीचरों की संक्रमण से मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन परिवारों के लिए कम से कम एक करोड़ रुपए मुआवजा होना चाहिए…
कोर्ट ने कहा कि चुनाव अधिकारियों की कोविड से मौत के बदले यूपी सरकार परिवारों को जो मुआवजा दे रही है वो काफी कम है और इसे कम से कम 1 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश कर्मचारी संघ संयुक्त परिषद ने दावा किया है कि इन चुनावों के दौरान ड्यूटी पर लगाए गए करीब दो हज़ार शिक्षकों की पिछले दिनों में कोविड से मृत्यु हो गई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज में लापरवाही की जांच का निर्देश दिया है और कहा है कि 3 दिन के भीतर एक जाच कमेटी गठित की जाए जो 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करें।
कोर्ट ने राज्य सरकार व सरकारी गैर सरकारी अस्पतालो को निर्देश दिया है कोविड संदिग्ध मौत होती है तो उसे कोरीना मौत माना जाय। कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझे। यदि कोई सर्दी जुकाम से भर्ती हुआ है और रिपोर्ट नही आयी है ,और मौत हो जाती है तो ऐसी मौत को कोरोना मौत माना जाय। बशर्ते कि उसे हार्ट या किडन की अन्य गंभीर समस्या न हो। और ऐसी मौत पर कोविड प्रोटोकॉल का दाह संस्कार में पालन कराया जाए।
कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य को 20 लोगों की मौत के भर्ती से लेकर मौत,तक के पूरे ब्योरे के साथ नए सिरे से रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने जिलाधिकारी मेरठ की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि सरकार का कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में जाच मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं जबकि प्राचार्य का कहना है जांच की मशीनें उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने रेमडेसीविर और टोर्सिलिन ,ऑक्सीजन की सप्लाई न होने की वायरल खबरों के मामले में कहा है हर जिले में एक शिकायत सेल गठित की जाए । ग्रामीण अंचलों में एसडीएम को शिकायत की जाय। जो शिकायत ,कमेटी को सौंपेंगे।
कोर्ट ने हर जिले में 3 सदस्यीय पेन्डेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है जिसमें जिला जज से नामित सीजेएम या न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा नामित कोई प्रोफेसर, जहां कालेज न हो वहां लेबल फोर के जिला अस्पताल के किसी अधिकारी या ए डी एम रैक अधिकारी की कमेटी बने ।इसे 48 घंटे में गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही मुख्य सचिव को कहा है कि सभी जिलाधिकारियों को कमेटी गठन करने के संबंध में निर्देश जारी करें। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण अंचलों की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की स्थिति ,उनके इलाज का विवरण पेश करने का निर्देश दिया है ।
राज्य सरकार की तरफ से बताया गया 2 करोड़ 9241314 घरों का सर्वे किया गया है जिसमें से 424631 लोगों में संक्रमण के तत्व पाए गए हैं जो संदिग्ध कोरोनावायरस की श्रेणी में रखे गए हैं ऐसे सभी मरीजों को कोरोना की दवा दी गई है 12381 मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है ऐसे लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बीपैप मशीन, हाईफ्लो नोजल कैनुला मास्क दिया गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपर मुख्य सचिव ने निर्देश जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि गांव में इलाज की सुविधा नहीं है ।लोग मर रहे हैं। देखभाल हो नहीं पा रही है। छोटे कस्बों में भी यही हालत है। लोगों का इलाज सही ढंग से नहीं हो रहा है ।कोर्ट ने बहराइच बाराबंकी बिजनौर जौनपुर श्रावस्ती जिलों की जनसंख्या, उनमें लेबल 1 और 2 के अस्पतालों के बेड की संख्या ,मेडिकल एवं फार्मा स्टाफ बी पैप मशीन हाई फ्लो नोजल कैनुला मास्क की पूरी संख्या ,तहसीलवार ग्रामीण आबादी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेड की संख्या, लाइफ सेविंग गैजेट ,ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सेंटर की मरीजों की इलाज की क्षमता ,मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ ,शहरी ग्रामीण टेस्टिंग की संख्या ,किस लैब में टेस्ट हुआ ।30 मार्च 21 से अब तक का पूरा डाटा हलफनामे के जरिए पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने मेरठ और वाराणसी में मरीज के लापता होने के मामले को भी गंभीरता से लिया है और रिपोर्ट मागी है।लखनऊ के सन हॉस्पिटल की तरफ से एक अर्जी दी गई जिसमें बताया गया कि 1 और 2 मई को ऑक्सीजन की सिलेंडर की आपूर्ति नहीं की गई और जिलाधिकारी ने झूठी जानकारी दी है। अस्पताल खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है। उसे परेशान किया जा रहा है ।जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है।
कोर्ट ने अस्पताल के उत्पीड़न पर रोक लगा दी है ।
और सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
सरकार ने बताया कोविड दवा के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है। इस मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन वार फुटिंग पर होना चाहिए ।जब तक हर कोई वैक्सीनेटेड नहीं हो जाता कोई भी सुरक्षित नहीं है ।उम्मीद जाहिर की कि
दो-तीन माह में 2 तिहाई से अधिक ग्रामीण आबादी का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए।
चुनाव आयोग की तरफ से ड्यूटी में मौत के मामले में पूरी जानकारी देने के लिए और समय मांगा गया ।चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया अध्यापकों विवाचको, शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया। लोगों की मौत हुई। मुआवजा पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक करोड़ तक मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से शारीरिक रूप से अक्षम और श्रमिकों जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते या सेंटर पर वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ सकते, के लिए योजना की पूरी जानकारी मांगी है ।पूछा कि जो अक्षम व्यक्ति सेंटर पर नहीं आ सकते उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा। इस संबंध में राज सरकार से भी हलफनामा है और राज सरकार से पूछा है कि गांव में जो अनपढ़,लेबर आबादी है , जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते, उनके वैक्सीनेशन की क्या योजना है ।उसकी जानकारी दें। और केन्द्रीय सरकार से भी पूछा है कि 18 से लेकर 45 साल के ग्रामीण लोग जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते हैं उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा
न्यायमूर्ति वी के श्रीवास्तव की मौत, उनके इलाज में लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया है जिसमें सचिव स्तर के एक अधिकारी होंगे और एस पीजीआई के सीनियर पाल्मनोलॉजिस्ट और एक अवध बार एसोसिएशन द्वारा नामित सीनियर एडवोकेट, तीन सदस्यों की जांच कमेटी होगी।सीनियर रजिस्ट्रार लखनऊ पीठ कमेटी का संयोजन करेंगे और कमेटी 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी।याचिका की सुनवाई 17 मई को होगी।