अपने ही गढ़ में बसपा (BSP) जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी ढूढ़ने में नाकाम दिखी

अंबेडकरनगर. यूपी के अंबेडकरनगर में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव ( UP Zila Panchayat President Election) को लेकर सियासी दल शतरंज की बिसात पर अपने-अपने मोहरे बिछा रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने अजीत यादव के रूप में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, तो बीजेपी ने भी साधू वर्मा का नाम करीब तय कर लिया है, लेकिन अपने ही गढ़ में बसपा (BSP) जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी ढूढ़ने में नाकाम दिख रही है, जोकि कभी नीले दुर्ग के रूप में पहचान रखता था.

कभी अंबेडकरनगर में बसपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्‍यक्ष का चुनाव लड़ने की मारामारी रहती थी, वहां आज पार्टी को प्रत्‍याशी नहीं मिल रहा है. इस बार बसपा के समर्थन से 8 सदस्य निर्वाचित हुए हैं, लेकिन पार्टी अपना प्रत्याशी लड़ाने की हिम्मत नहीं दिखा पा रही है. यही नहीं, प्रत्‍याशी न मिलने की वजह से स्‍थानीय नेताओं के साथ बसपा की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, बसपा नेता जिस होटल व्यवसायी को अध्यक्ष बनान चाहते थे, उसके पंचायत चुनाव हारने से सारा खेल गड़बड़ा गया है.

टिकट बंटवारे ने बिगाड़ा बसपा का खेल!
बसपा का गढ़ माने जाने वाले अंबेडकरनगर में यूपी पंचायत चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर भी काफी बवाल मचा था. यही नहीं, इस बात से आहत होकर तत्कालीन बसपा विधानमंडल दल नेता लाल जी वर्मा ने पंचायत चुनाव से अपनी पत्नी का नाम वापस ले कर टिकट लौटा दिया था. हालांकि इसके बाद मायवती ने उन्‍हें पार्टी से निलंबित कर दिया है. इसके अलावा प्रभारी जोनल कोऑर्डिनेटर घनश्याम खरवार टिकट बंटवारे में जिताऊ लोगों को तरजीह देने में असफल रहे तो कई निर्दलीय लड़कर चुनाव जीतने में सफल हो गए.

क्या नीला दुर्ग ढह रहा है!
अंबेडकरनगर जिला बसपा और मायावती की राजनीति का केंद्रबिंदु रहा है. इस वजह से इसे यूपी की राजनीति में नीले दुर्ग के रूप में पहचान हासिल है. यही नहीं, 2017 में भाजपा की लहर के बाद भी जिले की पांच में से तीन सीटों पर बसपा का ही कब्जा रहा. इसके अलावा बसपा यहां सभी पांच विधानसभा सीटों से लेकर लोकसभा और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर एक साथ कब्‍जा कर चुकी है. हालांकि पिछले कुछ सालों में पार्टी में बडे़ नेताओं के बीच छिड़ी जंग की वजह से नीले दुर्ग में दीमक लग गई है. वहीं, हाल ही में बसपा ने लाल जी वर्मा और रामअचल राजभर को भी पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया है. जबकि पार्टी की रीढ़ समझे जाने वाले पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त को पहले ही पार्टी ने किनारा कर लिया था.

यही नहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती अंबेडकरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ती रही हैं. सबसे पहले वह 1989 में बिजनौर लोकसभा सीट जीत कर संसद में पहुंची थीं. इसके उन्‍होंने बाद 1998, 1999 और 2004 में अकबरपुर (वर्तमान में अंबेडकरनगर) सीट से चुनाव जीता. यही नहीं, 2009 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने यहां बाजी मारी है.