आजमगढ़: टिड्डी दल किसानों का सबसे बड़ा शत्रु, रहें एलर्ट

आजमगढ़ 02 जून– उप निदेशक उद्यान आजमगढ़ मण्डल, आजमगढ़ ने बताया कि टिड्डी कीट के नाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे, यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है। यह बहुत ही डरपोक होने के कारण समूह मे रहते हैं। टिड्डी दल किसानों का सबसे बड़ा शत्रु है। टिड्डियाँ 1 दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं, हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है। टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड/समूह बनाकर पेड़-पौधे एवं वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह दल 15 से 20 मिनट में आपकी फसल के पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुँचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं तथा रात भर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरते हैं। अंडा देने की अवधि में इनका दल एक स्थान पर 3 से 4 दिन तक रुक जाता है।
उन्होने किसानों को अवगत कराया है कि बड़े आकार का टिड्डी दल राजस्थान राज्य से होते हुए मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र की तरफ से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है। अतः सभी कृषक बंधुओं से अनुरोध है इस समय सजग रहें एवं टिड्डी दल की लोकेशन ज्ञात करते रहें। टिड्डी दल के आने पर निर्धारित उपाय करके आप लोग अपनी फसल को बचा सकते हैं। यदि टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आस-पास मौजूद घास-फूस का उपयोग करके धुआं करना चाहिए अथवा आग जलाना चाहिए जिससे टिड्डी दल आपके खेत में ना बैठकर आगे निकल जाएगा। टिड्डी दल दिखाई देते ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनको अपने खेत पर बैठने न दें। अपने खेतों में पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें, टैªक्टर के साइलंेसर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं। कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से भोर का समय उपयुक्त होता है। प्रकाश प्रपंच लगाकर एकत्रित करके नष्ट कर सकते हैं। क्योंकि एक डरपोक स्वभाव का कीट होता है, अतः तेज आवाज से डरकर आपके फसल व पेड़ पौधों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा।
उन्होने बताया कि यह टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर शक्ति (ट्रेक्टर) चालित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। रसायन के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11ः00 बजे से सुबह 8ः00 बजे तक होता है। टिड्डी के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी या बेन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25 प्रतिशत एससी 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।
मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर द्वारा बुरकाव करें। बुरकाव के लिए प्रातः काल का समय अधिक उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय पत्तियों पर ओस पड़ी रहती है, जिसके कारण धूल पत्तियों पर चिपक जाती है। बुरकाव को खेत के बाहरी हिस्से से प्रारंभ करते हुए अंदर की तरफ करना चाहिए।